8.1 SCHOLAR

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VOL- 8 ; ISSUE 1 - PUNE RESEARCH SCHOLAR (ISSN 2455-314X) JIF 3.14

Editor in Chief

ABSTRACT

PUNE RESEARCH SCHOLAR 

AN INTERNATIONAL MULTIDISCIPLINARY JOURNAL

( ISSN 2455  -  314X  ONLINE )

 VOLUME 8 , ISSUE - 1  (FEB TO MAR 2022) (JIF 3.14)

8.1.1 स्कॉलर

Area of Article : इतिहास

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धुनिक भारताच्या इतिहासातील आध्यात्मिक प्रबोधनकारांच्या आत्मचरित्रांमधील 'भक्ती' स

डॉ. राजेश यशवंत कुलकर्णी

ABSTRACT

भक्तीला हिंदूंमध्ये फार मोठे स्थान आहे. उदात्त जीवन विद्या देणारा मार्ग म्हणून भक्तीकडे पाहिले जाते. व्यक्ती, मानवता यांच्या आत्मिक विकासार्थ भक्तीने मोठे कार्य केले आहे. भक्तीचा उदय वेदांमध्ये मानला जातो. प्राचीन- मध्ययुगीन काळात भक्ती परंपरा प्रवाह निरंतर बहरत राहिला. आधुनिक भारतातही, विविध प्रांतांमध्ये भक्ती ही अखंड राहिलीप्रस्तुत संशोधनात, आधुनिक भारताच्या इतिहासातील भक्तीचे स्वरूप शोधण्याचा प्रयत्न केला आहे. त्यासाठी आधुनिक भारतातील अध्यात्मिक प्रबोधनकारांच्या आत्मचरित्रातील "भक्ती" संकल्पना अभ्यासली आहेमहाराष्ट्रातील वारकरी, महानुभाव, धारकरी, दत्तात्रेय तसेच कर्नाटकातील वीरशैव, उत्तरेतील संकीर्तने, बंगालमधील चैतन्य संप्रदाय, शीख परंपरा यात भक्ती ओतप्रोत आहे. आधुनिक अध्यात्म प्रबोधक मार्गदर्शकांनी भक्तीचे घडविलेले दर्शन चिंतन हे त्यांच्या आत्मचरित्रांतून प्रकट झाले आहे.

8.1.2 स्कॉलर

Area of Article : हिन्दी

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समकालीन हिन्दी कविता में व्यंग्य

डॉ. भरत ए. पटेल

ABSTRACT

आधुनिक हिन्दी कविता अनेक वादों और पड़ावों से गुजरती हुई नई भूमि को तलाशतीतराशती हुई निरंतर नवीन पथ पर अग्रसर हो रही है | सामान्यत: सन् १९६० के पश्चात् लिखी गई कविता को समकालीन हिन्दी कविता के नाम से पहचाना जाता है | यह वह समय था , जब देश की आजादी को लेकर प्रजा ने सँजोये सुनहरे सपने खण्ड-खण्ड और चूर-चूर हो रहे थे | प्रजा महसूस करने लगी कि राजनेताओं ने स्वराज्य के नाम पर हमें ठग लिया है | प्रजा की समस्याएँ दूर होने की जगह और जटिल होती जा रही थी | इस मोहभंग की स्थिति में देश के कुछ जनवादी कवियों ने जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए साधारण जन की मजबूरियों , दु:-दर्द और पीड़ा को व्यंग्यात्मकता के साथ

8.1.3 स्कॉलर

Area of Article : समाजशास्त्र

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भावनिक आणि कौटुंबिक हित संबंधांच्या पलीकडे असलेलं उत्तराधिकारी निवडीचं तंत्र

डॉ. विनय भोळे

ABSTRACT

दुष्यंत आणि शकुंतला यांच्या विवाहानंतर काही दिवसांतच दुर्वास ऋषींच्या शापामुळे शकुंतलेला अत्यंत अवघड परिस्थितीला सामोरं जावं लागलं. गरोदर शकुंतलेला दुष्यंतापासून अरण्यात वेगळे राहण्याचा प्रसंग ओढवला. ऋषीमुनींच्या आश्रमात वास्तव्य केलेल्या शकुंतलेला  योग्य वेळी  मुलगा झाला.  तिनं मुलाचं नाव ‘सर्वदमन’ असं ठेवलं. सर्वदमन लहानपणापासूनच अरण्यातील वाघ, सिंह इत्यादी वन्य प्राण्यांशी खेळत असे. त्याचे अरण्यातील पालक असलेल्या ऋषीमुनींना आणि शकुंतलेला त्याच्यात चार पाच वर्षे वयातच बेडरपणा व धैर्य दिसून येऊ लागलं. सगळं आश्चर्यकारक वाटावं असं घडत होतं. भविष्यातील वैभवशाली व पराक्रमी चक्रवर्ती सम्राटाचं बालपण आश्रमात व्यतीत होत होतं. गुणग्राहक शकुन्तलेनं ऋषीमुनींना विनंती करून सर्वदमनास अनेक शास्त्रं, कला व विशेषतः युध्दशास्त्राचं प्रशिक्षण देण्यास सुरुवात केली. भारताला वैभवशाली ठरवणाऱ्या काळाची ती नांदी होती. शकुन्तलेला मुळात त्याच्यात, त्याच्या पित्याप्रमाणेच किंबहुना काही सरस असे चक्रवर्ती सम्राटास आवश्यक गुण दिसत होते.

8.1.4 स्कॉलर

Area of Article : समाजशास्त्र

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महिला अपराध के तत्व (कारक) में परिवार की भूमिका !

डॉ. छाया आर. सुचक

ABSTRACT

अपराध का कारण प्रत्येक मामले में अलग-अलग व्यक्तियों तथा अलग-अलग स्थितियों में भिन्न होता है । आजजकल यह सामान्य धारणा है कि अपराध व्यक्तिगत और पर्यावरणीय कारकों के संयोग से होता है । व्यक्तिगत कारकों में शारीरिक अपंगता, व्यक्तित्व संधर्ष, भय, मानसिक अपसामान्यताएं व रोग प्रमुख माने गए है, जब कि दोषपूर्ण परिवार, विघाटित पड़ौस, मित्र समूह सम्पर्क, चलचित्र और अश्लील साहित्य पर्यावरणीय कारको में मुख्य माने गए है । यह कहा जाता है कि व्यक्ति आनुवंशिकता के माध्यम से अपने माता-पिता से बहुत से गुण अर्जित करता है और इनमें से कुछ गुण अपारधिक क्रियाकरलापों के कारण हो जाते है । यह भी कहा जाता है कि जीवाणुओं द्वारा लाए जाने वाले गुण सामाजिक पर्यावरण द्वारा ढाले जाते है और सामाजजिक अनुभवों द्वारा सुधार ेजाते है । इस प्रकार यह स्थापित तथ्य है कि आनुवंशिकता मनुष्य को सामर्थ्य प्रदान करती है और उसके विकास और व्यवहार दोनों पर बन्धन भी लगाती है । मानव व्यक्तित्व मानव जीवन में अनेक कारको (व्यक्तिगत और पर्यावरण सम्बन्धी दोनो ही) एवं आनुवंशिकता की अन्तक्रिया से उत्पन्न होता है । व्यक्तित्व जो कि मनुष्य के व्यवहार को निश्चित करता है भावनाओं, विचारो, द्रष्टिकोणो, विश्वासों, मूल्यों, दक्षता (Skills), शैली, बुद्धि इच्छा शक्ति (Will-power), आदतों आदि से मिलकर बनता है ।

8.1.5 स्कॉलर

Area of Article : समाजशास्त्र

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“महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा”

डॉ. ठक्कर हर्षदकुमार आर.

ABSTRACT

आज नारी के प्रति अनेक प्रकार के अपराध हो रहे हैं । ‘अपराध’ कानूनी रूप से परिभाषित शब्द ही नहीं है, अपितु सामाजिक द्रष्टि से भी परिभाषित शब्द है । सामाजिक द्रष्टि  से  इसे सामाजिक नियमों का उल्लंघन या विचलन कहा जाता है । नारी को शारीरिक व मानसिक यातनाएँ देना, उसके साथ मार-पीट करना, उसका शोषण करना, नारीत्व को नंगा करना, भूखा-प्यासा रखकर या जहर आदि देकर उसको दहेज की बलि चढ़ा देना, निश्चित रूप से नारी के प्रति अपराध ही कहे जाएँगे । पूरे देश में नारियों के प्रति अपराधों एवं हिंसक घटनाओँ की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है । एक वर्ष राज्यसभा में सरकार द्वारा केवल दिल्ली के बार में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के बारे में जो आँकड़े प्रस्तुत किए गए उनसे यह स्पष्ट पता चलता है कि उनके प्रति अपराधों मे वृद्धि हो रही है ।